दिल टूटने के बाद
दिल टूटने के बाद ,सोचते हैं क्या हुआ।
हर ग़म ख्वार का लहज़ा है बदला हुआ।
इतनी वफ़ा से वो , बेवफाई निभा गया
हम सोचते रह गये , किस्सा ये क्या हुआ।
देर तक चीरती रही , दिल को तेरी गुफ्तगू
भूलूं कैसे, ग़ैर के शाने पे हाथ रखा हुआ।
हर दर्द,आंहे , आंसू, वो देकर गया हमें
सोचती हूं दिल उसका, क्यूं पत्थर हुआ।
बार बार टूटने, बनने से आखिर क्या होगा ।
बस यहीं सोचते हैं, हक इश्क का अता हुआ।
सुरिंदर कौर