दिल जला होगा
*** दिल जला होगा (गज़ल) ****
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अगर तुम दूर नजरों से गया होगा,
कसम से यार तेरा ही भला होगा।
वफ़ा का है सदा वास्ता तुझे दिलबर,
रखोगे याद मुझको ये सिला होगा।
उठेगा जब धुआं जो आह मेरी से,
सनम मेरे बताऊँ दिल जला होगा।
रखोगे जब कभी पग जो जमीं मेरी,
वहाँ तेरे कदम में सिर पड़ा होगा।
कहूँ मैं यार मनसीरत सुनो मुझको,
उसी दर शख़्श ये ही तो खड़ा होगा।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)