दिल जला, यूँ बुझा दिया मैंने
2122 + 1212 + 22
इश्क़ को ही मिटा दिया मैंने
दिल जला, यूँ बुझा दिया मैंने
उस परी का जमाल कैसे कहूँ
दिल फ़रेब थी, भुला दिया मैंने
दिल की बस्ती उजड़ गई यारो
हाय सब कुछ लुटा दिया मैंने
ग़म मुझे खूब था मगर यारो
मुस्कुरा के बता दिया मैंने
था उसे इश्क़ मुझसे लेकिन
कब उसे ये पता दिया मैंने
चाँद हासिल नहीं यहाँ सबको
फिर भी सब कुछ जला दिया मैंने
ऐ ‘महावीर’ वो न तेरे थे
इश्क़ क्यों फिर जता दिया मैंने