“दिल चाहता है”
दिल चाहता है,
फिर से प्रेमी बन जाऊँ,
एक डाली पर बैठ,
तोता – मैना बन,
चौंच लड़ाऊँ,
मन ही मन इतराऊं,
बालों में ऊँगली घुमाते,
घंटों बतियाऊँ,
ज़ुल्फ़ों की छाओं में,
तुम्हारें चेहरे को ढाप,
घंटों आँखों को सहलाऊँ,
दिल चाहता है,
फिर से प्रेमी बन जाऊँ,
न समय की सीमा हो,
न मोबाइल का हो संग,
केवल इतराती मैं,
केवल तुम हो संग,
तुम्हारीं बाँहों के झूले में,
झूल – झूल इतराऊं,
तुम्हारें नयनों की,
भूलभुलैया में,
घंटों खो जाऊँ,
दिल चाहता है,
फिर से प्रेमी बन जाऊँ,
तुम बेणी लाओ,
मेरे जूड़े में सजाओं,
सहेलियों को दिखा,
इतराऊं और मस्ताऊँ,
तुम्हारें प्यार की दास्ताँ,
दुनिया से छुपाऊँ,
अपने दिल को मंदिर बना,
उसमें तुम्हारीं मूरत सजाऊँ,
दिल चाहता है “शकुन”,
फिर से प्रेमी बन जाऊँ।