दिल खोल कर रखो
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दीवारें उठाओ तो भी उसमें झरोख़ा खोल कर रखना
लाख हो कशीदगी, रिश्तों में भरोसा घोल कर रखना
वादा करके भूल जाना तुम्हारी पुरानी आदत है
कोई असली सा लगे ऐसा बहाना सोच कर रखना
दोस्तों में भी ऐसा नहीं बिना बताये मिलने चले जाओ
जब भी जाओ पर थोड़ा सा पहले से बोल कर रखना
जो लिखा वो सब हो ख़ुद किरदार में नहीं मुमकिन
मिल जाये थोड़ा भी उसमें अपना जी खोल कर रखना