दिल को दुखा दीजिये
आइये दिल में दिल को दुखा दीजिये
इस मोहब्बत का कुछ तो सिला दीजिये
जो जी चाहे सजा दीजियेगा मगर
पहले तोहमत तो कोई लगा दीजिये
ये अँधेरे न टिक पायेंगे रूबरू
रुख़ से परदा ज़रा सा हटा दीजिये
जान ले लीजियेगा बड़े शौक से
नाम तो दिल से पहले मिटा दीजिये
एक चिंगारी काफी शहर के लिए
भूलकर भी न इसको हवा दीजिये
रास्तों से मोहब्बत हुई हो जिसे
उसको मंजिल का फिर क्या पता दीजिये
माँगना है तो मांगेंगे हम राम से
आप तो दिल से केवल दुआ दीजिये