दिल के ज़ख्म
क्यों कोई उम्मीद जगा कर रुला देता है।
हँसते चहरे को रुला देता है।।
जब तन्हाई हे मेरा मुक्क़दर है।
क्यों कोई चराग़ दिल का जला देता है।।
में तेरे ख्याल में ही गुम हूँ ।
और तू है की अजनबी बना बेठा है।।
में तेरे दिल में हु या न हु लेकिन ।
मेरे हर दिल के पन्ने में तू ही छुपा बेठा है।।
Shyam vyass