दिल के रिश्ते
खत्म करने को क्या है
कुछ भी कभी भी खत्म किया जा सकता है
पर जिन रिश्तो को खून से सींचा हो। उनके लिए अपना खून ही बगावत कर जाता है ।।
ताउम्र वक्त दिया हो जिसे हर वक्त अपना ।
आखिर उस वक्त में और क्या किया जा सकता है ।।
आंखों ने रो दिया तो बेवफा नहीं हो गई ।
उस दिल को कहिए जो धड़कनों को भी दगा दिए जाता है।।
गलतफहमी थी कि जी लेंगे हम आराम से।
यहां तो आराम से मरा भी नहीं जाता है ।।
क्या कहे उन्हें जिनके हाथ सने थे खून से ।
रिश्तो की नजाकत क्या है उन्हें आज भी समझ नहीं आता है।।
हर शख्स ने कहा था खुदा सब में बसता है ।
पर मुझे क्यों बस वह तुझ में ही नजर आता है ।।
होगी तुम्हारी किताबों में फेहरिस्त बड़ी फरिश्तों की ।
मेरे लिए जो रिश्ते समझ ले वही फरिश्ता कहलाता है।।