दिल के पास जिसकी दस्तक
दिल के पास जिसकी दस्तक ।
रहता हूँ जिसके लिए नत मस्तक ।।
देश विदेश और धर्म संस्कृति ।
वेद पुराण ज्ञान विज्ञान की कृति ।।
सखा जैसा स्नेह सदा रखती ।
हर पल साथ मेरे रहती ।।
बिन उसके है दुनिया अधूरी ।
जिसे मिले उसकी इच्छा पूरी ।।
जो काम करे नही अस्त्र शस्त्र ।
पढ़कर इसको पहुँच जाए सर्वत्र ।।
सदियों पुरानी थी जो बातें ।
सीख गए कर इनसे मुलाकातें ।।
सब चाहते छोटा हो या बड़ा ।
सकल संसार इस पर ही खड़ा ।।
घर घर में सदियों से विराजित ।
पाकर तुमको होता नही पराजित ।।
हर भाषा पर अधिकार तुम्हारा ।
अक्षर अक्षर से बना है सहारा ।।
हर दफ्तर तुम्हारी है दस्तक ।
हम तो कहते है तुमको पुस्तक ।।