दिल के तारो में
दिल के तारो मे अभी कसक बाकी है बहुत ।
इन अंधेरो मे अभी चमक बाकी है बहुत ।
छोड़ क्यू दिया जख्म देना तुम ने हमे
इस जमाने मे अभी चमक बाकी है बहुत
सास घुटने लगी तो ये तकदीर हमारी है
यू हवाओ मे अभी रमक बाकी है बहुत ।
ओर पत्थर चलाओ अरे जमाने वालो
टूटे शीशो मे अभी खनक बाकी है बहुत ।
ये सितारे ड़ूबते है तो गम न करो
इन नजारो मे अभी शफक बाकी है बहुत ।
Surinder kaur