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14 Jun 2021 · 1 min read

दिल के घर में

मैं तो
अपने दिल के घर में
रहती हूं
दिल के घर में
विचरती हूं
दिल के घर की
चारदीवारी के भीतर
बंद हूं
मुझे कोई क्या
कैद करेगा
इन ईंट पत्थर के
घर दीवारों में
मैं तो एक
हवा का दरिया हूं
जमीन पे बहती नहीं
सबके सिर के ऊपर से
उनके दिलों को
छूती हुई
बेबाकी
मदमस्त
छल्लेदार लहराती चाल से
होकर
गुजरती हूं।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 451 Views
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