दिल के कोने में
दिल के कोने में ,इक दीया जला रखा है।
मूर्त रख के तेरी,इक मंदिर बना रखा है।
तुझ से धड़कनों का बंधन बांध कर मैंने,
खुद जबीं को सजदे में झुका रखा है ।
बेसाख्ता तारी हुई जब इश्क़ की वहशत
हमने खुद को तेरा दीवाना बता रखा है।
जब कोई पूछे क्यों ख़ामोश से रहते हो
कैसे बताए होंठों में तेरा नाम दबा रखा है
इस मुक़द्दस मुकाम तक पहुंचने के लिए
हर नज़र से हमने तुझको छुपा रखा है ।
सुरिंदर कौर