वतन का कर्ज
वतन के कर्ज की हिमायती जिन्दगी
वतनपरस्ती के आगे न कीमती जिन्दगी ।
सारी ख्वाहिशें कुर्बान वतन पर
वतनपरस्ती की हद तक सिमटी जिन्दगी ।
आज़ादी के दिवानों के थे तेवर तुफानी
काँटों शोलों अंगारों से थी लिपटी जिन्दगी ।
आज़ादी के दौर आने तक हौसले न टुटे
आने वाले कल की ॰ गुलामी में न कटी ज़िन्दगी ।