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14 Apr 2023 · 1 min read

वतन का कर्ज

वतन के कर्ज की हिमायती जिन्दगी
वतनपरस्ती के आगे न कीमती जिन्दगी ।

सारी ख्वाहिशें कुर्बान वतन पर
वतनपरस्ती की हद तक सिमटी जिन्दगी ।

आज़ादी के दिवानों के थे तेवर तुफानी
काँटों शोलों अंगारों से थी लिपटी जिन्दगी ।

आज़ादी के दौर आने तक हौसले न टुटे
आने वाले कल की ॰ गुलामी में न कटी ज़िन्दगी ।

Language: Hindi
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