दिल के अहसास
दिल की गहराई
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आज फिर से तेरी याद
दिल तक जा पहुँची
एक कसक उठी और
बड़ी गहराई से पहुँची
तड़प क्या होती है
कोई पूछो हम से
जब पास आ के भी
वो दूर ही बैठे थे
भरी महफ़िल में
वो व्यस्त ,उलझे उलझे
एक तक मेरी नजर
उन को तकती
कोशिश कर लेती
खुद में ही समा लू
एक पल भी ,
नजरे न गिराऊ
जो नही अपना
दिल अपना मानता है
करता हैं बगावत खुद से
मेरी ना एक मानता है
उतार दु कश्ती प्यार की
बीच समन्दर,खो जाऊँ
एक लहर बन,मिल जाऊँ
उस की जान बन जाऊँ
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✍सन्ध्या चतुर्वेदी
मथुरा यूपी