– दिल के अरमान –
दिल के अरमान –
दिल में ही रह गए,
दिल के मेरे अरमान,
ख्वाबों में ही गुम हो गए,
दिल के मेरे अरमान,
अपनो को अपना बनाने की जदोजहद करती मेरी कोशिश,
अपनो का ही स्वार्थीपन से अपने जुदा हुए,
उनको था दौलत का स्वार्थ,
हम अपनो को ही दौलत कहने में रह गए,
दिल के मेरे अरमान दिल में ही रह गए,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान