Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Mar 2024 · 1 min read

– दिल के अरमान –

दिल के अरमान –
दिल में ही रह गए,
दिल के मेरे अरमान,
ख्वाबों में ही गुम हो गए,
दिल के मेरे अरमान,
अपनो को अपना बनाने की जदोजहद करती मेरी कोशिश,
अपनो का ही स्वार्थीपन से अपने जुदा हुए,
उनको था दौलत का स्वार्थ,
हम अपनो को ही दौलत कहने में रह गए,
दिल के मेरे अरमान दिल में ही रह गए,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान

Language: Hindi
58 Views

You may also like these posts

खुद पहचान
खुद पहचान
Seema gupta,Alwar
इसके सिवा क्या तुमसे कहे
इसके सिवा क्या तुमसे कहे
gurudeenverma198
जल का महत्व
जल का महत्व
कार्तिक नितिन शर्मा
ସାଧୁ ସଙ୍ଗ
ସାଧୁ ସଙ୍ଗ
Bidyadhar Mantry
समरसता की दृष्टि रखिए
समरसता की दृष्टि रखिए
Dinesh Kumar Gangwar
।।
।।
*प्रणय*
शिक्षक जब बालक को शिक्षा देता है।
शिक्षक जब बालक को शिक्षा देता है।
Kr. Praval Pratap Singh Rana
जीने का हक़!
जीने का हक़!
कविता झा ‘गीत’
Think Positive
Think Positive
Sanjay ' शून्य'
"तलाश"
Dr. Kishan tandon kranti
हर एक सब का हिसाब कोंन रक्खे...
हर एक सब का हिसाब कोंन रक्खे...
डॉ. दीपक बवेजा
राशिफल से आपका दिन अच्छा या खराब नही होता बल्कि कर्मों के फल
राशिफल से आपका दिन अच्छा या खराब नही होता बल्कि कर्मों के फल
Rj Anand Prajapati
उम्र बीत गई
उम्र बीत गई
Chitra Bisht
अश्रु (नील पदम् के दोहे)
अश्रु (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मेरा ग़म
मेरा ग़म
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
कविता __ ( मन की बात , हिंदी के साथ )
कविता __ ( मन की बात , हिंदी के साथ )
Neelofar Khan
शिवनाथ में सावन
शिवनाथ में सावन
Santosh kumar Miri
हिन्दी
हिन्दी
लक्ष्मी सिंह
"स्नेह के रंग" (Colors of Affection):
Dhananjay Kumar
घुटने का दर्द
घुटने का दर्द
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
चुलबुल चानी - कहानी
चुलबुल चानी - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तुम बिन
तुम बिन
ललकार भारद्वाज
उदर क्षुधा
उदर क्षुधा
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
Zomclub là cổng game bài đổi thưởng uy tín nhất năm 2024. Ch
Zomclub là cổng game bài đổi thưởng uy tín nhất năm 2024. Ch
Zomclub
नटखट-चुलबुल चिड़िया।
नटखट-चुलबुल चिड़िया।
Vedha Singh
कदम बढ़े  मदिरा पीने  को मदिरालय द्वार खड़काया
कदम बढ़े मदिरा पीने को मदिरालय द्वार खड़काया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
2485.पूर्णिका
2485.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
क्षमा करें तुफैलजी! + रमेशराज
क्षमा करें तुफैलजी! + रमेशराज
कवि रमेशराज
कविता: घर घर तिरंगा हो।
कविता: घर घर तिरंगा हो।
Rajesh Kumar Arjun
Loading...