दिल की
मैंने कब कहा कि तू मेरी सुने
बात दिल की थी,, रह न सकी
अब छोड़ो न,
जिद की तेरी थी या मेरी थी
और सुना है, कि
करवटें चाँद भी लिया करते हैं
मगर,,
तेरी तरह बदला नही करतें।।
ये बात अलग है कि तुझे मैं आज भी चाहता हूँ।
मगर,, खुद को कभी मजबूर नही किया हमने।।