दिल की हालत
दिल की हालत एक पन्ने पर
कलम उठाकर लिखने बैठा
अंतर्मन के व्यवधानों को
सबके आगे पढ़ने बैठा।
उत्साहित हैं सुनने को सब
मेरी द्वंद्व कथा के चिट्ठे
उत्साहित हैं पढ़ने को सब
मेरे भावों के किस्से।
लेकिन मैंने विप्लव के नहीं
प्यार के गीत ही गाए हैं
ज़ख्म मिले हों लाखों फिर भी
अपने ज़ख्म छुपाए हैं।
भावों की गहराई में
डुबकी एक लगाई थी
दर्दे दिल का हाल जानकर
आंख मेरी भर आई थी।
सबके हित की बात छुपी थी
मेरी काली रात छुपी थी
जिसको नहीं पहचान सका था
सीने में वह आग छुपी थी।
इसी आग की स्याही लेकर
जीवन रस को लिखने बैठा
दिल की हालत एक पन्ने पर
कलम उठाकर लिखने बैठा
~ करन केसरा ~