दिल की हसरते
क्या है यह दिल क्या होती है हसरते , क्या होता है कुछ पाने का जूनून, क्या होता है दर्द जब ना पा सको जूनून । मन तो बहुत कुछ चाहता पर लब ना कह पाते है । सोच कर अपने दिल दर्द बस सोचकर यह रह जाते है की है नहीं कोई जो समझे हमारे दिल को । शुक्र है उस परमात्मा का जिसने बहुत बड़ी खुशी दी वकालत पुरी करा पर असमजस है इस दिल की मिले तो मिले कैसे वो राह जिसे चुन कुछ अपने को खुद की खुशी मिल सके । परमात्मा होगा हि पर क्यून लगती है मिली खुशी अधूरी सी फीकी सी । आँखो मे अश्क़ पाने की ललक कुछ करने की ललक बस करती है इंतज़ार ।