दिल की सुनाएं आप जऱा लौट आइए।
गज़ल
काफ़िया-
2212…..1211…..2212….12
दिल की सुनाएं आप जऱा लौट आइए।
किसको पुकारें आप ज़रा लौट आइए।
पतझड़ सी जिंदगी है, तुम्हीं हो मेरे बसंत,
फल फूल जाएं आप ज़रा लौट आइए।
जो भी तुम्हारे प्यार की कीमत मुझे कुबूल,
कैसे चुकाएं आप ज़रा लौट आइए।
हुश्नो अदा का नूर है, मेरा गुरूर है,
किसको दिखाएं आप ज़रा लौट आइए।
तुम जिंदगी के मालिक रूठे मेरे खुदा,
कैसे मनाएं आप ज़रा लौट आइए।
यूं गीत औ’र ग़ज़ल से ही दुनियां मेरी बनी,
कुछ गुनगुनाएं आप ज़रा लौट आइए।
प्रेमी हमारे का सागर मचल रहा,
किस पर लुटाएं आप ज़रा लौट आइए।
…….✍️ सत्य कुमार प्रेमी