दिल की सिफारिश
दिल ने की फिर दिल से ही ये सिफारिश।
बार बार क्यू करता है तेरी ही ख्वाहिश।
भूल भी जा अब उस बेवफा को रे तू,
बस अपनी तो है इतनी सी गुजारिश ।
उस के दीदार की जिद तू अब छोड़
क्यू बार बार करे ,एक ही फरमाईश।
दिल है कि अभी भी मानता नही है
हो रही है अभी प्यार की ही पैमाईश।
ये राह इशक की आसां नही है दोस्त,
बार बार होती है इस की आजमाईश।
Surinder kaur