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15 Jul 2019 · 1 min read

दिल की सिफारिश

दिल ने की फिर दिल से ही ये सिफारिश।
बार बार क्यू करता है तेरी ही ख्वाहिश।

भूल भी जा अब उस बेवफा को रे तू,
बस अपनी तो है इतनी सी गुजारिश ।

उस के दीदार की जिद तू अब छोड़
क्यू बार बार करे ,एक ही फरमाईश।

दिल है कि अभी भी मानता नही है
हो रही है अभी प्यार की ही पैमाईश।

ये राह इशक की आसां नही है दोस्त,
बार बार होती है इस की आजमाईश।
Surinder kaur

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