दिल की दुआ
या अल्लाह या मेरे परवरदिगार
हर इंसान के दिल में भर दो मोहब्बत बेशुमार
सारा आलम दीन पर चलने लगे
इल्म और अमन की दुआएं, जहां में बहने लगें
खोल दे राहे तरक्की, न कोई मजबूर हो
आदमी का आदमी से, इस जहां में प्यार हो
न धर्म का न जाति का, न भेद किसी बात का
इंसान और इंसानियत का, सारे जहां में वास हो
ये मालिक दोनों जहां के, कबूल फरमा जायज दुआ
दुनिया में दहशत का मिटा दे, या नबी नामोनिशा
सबके दिलों में इखलास हो, हक न मारे कोई किसी का
हर दिल में ये ईमान हो
सुकून हो अमनो अमन हो, हर दिल में ये विश्वास हो
सबकी हो पूरी तमन्ना, पूरी हो सब की दुआ
या मौला कबूल कर, दिल की ये जायज दुआ