दिल की दीवार पे कुछ तस्वीरें रहती हैं……………….
दिल की दीवार पे कुछ तस्वीरें रहती हैं
साथ साथ सब्त उस पे तहरीरें रहती हैं
दूर अभी मंज़िल तक़ाज़ा तेज़ चलने का
दौड़ूँ कैसे पाँव में ज़ंजीरें रहती हैं
लिख कर के छोड़ आए थे जो कह न सके हम
चल के देखते हैं कैसी तासीरें रहती हैं
यां कोई भी नहीं कमतर शहंशाहों से
हर मयान में यहाँ भी शमशीरें रहती हैं
जाने क्या लिख दिया लिखने वाले ने इन पर
हाथों में हर शख़्स के लकीरें रहती हैं
सच है ये बात गरचे मानता नहीं कोई
बस जीनें तलक अपनी जागीरें रहती हैं
आदम की कोशिशें बन जाये खुदा अभी वो
कब बस में इंसान के तक़दीरें रहती हैं
–सुरेश सांगवान ‘सरु’