दिल की दिलजोई न करेंगे
मुश्किल है मगर अब हम दिल की दिलजोई न करेंगे
नमनाक आंखों से हसेंगे छुप छुप के आहें भी भरेंगे
कौन रोकेगा भला अब मुझ को इस दयार में
हम अपने ही आब ए खार के बहाव में बहेंगे
तू मुझको हर हाल में अपना सगा सा लगता है
पर इस बात को भी अब हम दीवार से न कहेंगे
ये रात की दीवारें सुनती थी जो तेरी मेरी कहानी
उसके पेशानी पर तेरे वाबस्तगी में कोई बात न धरेंगे
~ सिद्धार्थ