दिल की जमीं से पलकों तक, गम ना यूँ ही आया होगा।
दिल की जमीं से पलकों तक, गम ना यूँ ही आया होगा।
छलक पड़ा जो सावन बनकर, बादल बनकर छाया होगा ।
सरोकार क्या किसी गैर को, मेरी खुशी या गम से,
कहर ये किसी अपने ने ही, नाजुक दिल पर ढाया होगा ।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद