दिल की ख्वाहिशें।
दिल की ख्वाहिशें भी बेपनाह होती है।
इस जहां में सभी की ये पूरी कहां होती हैं।।1।।
बड़े अरमानों से बनाये थे ये आशियानें।
जिन उजड़ी बस्तियों में ज़िंदगियां रोती हैं।।2।।
तमन्नाओं से भरा हर दिल तो मिलता है।
पर सबकी जिंदगी में खुशियां ना होती हैं।।3।।
इश्क में आशिकी भी हमेशा मचलती है।
सहरा ए जमीं यूं आब को जैसे तरसती है।।4।।
चाहत थी तुम्हें एक बार और देखने की।
पर मौत को कौन रोके जो दस्तक देती है।।5।।
ये कमबख्त दिल तुम पर ही आशना है।
पर ये नजरें तुम्हारी बस गैरों को ढूंढती है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ