दिल की कश्ती
उसकी नज़रों के समुद्र में
मेरे दिल की कश्ती डूब न जाए।
उसकी अदाएं पहले सावन की बरसात भाँति
मेरे मन को छू न जाए।
उसका आना मानो
सर्द ऋतु के बाद वसंत ऋतु का आना ,
चारों ओर फूलों का खिल जाना।
मुझे उसकी एक झलक की है आस
मानो मुसाफ़िर को हो साहिल की तलाश।
वो करीब हो तो होता मुझे अपनेपन का एहसास,
क्या उसको भी है
मेरी दिन – बा – दिन बढ़ती उम्र का लिहाज??
मेरे यार का भी देखो यारों क्या गज़ब है मिज़ाज
सब जानकर भी रहना चुप
कहाँ है सब के बस की बात।
तकलीफ़ है मुझे बस इतनी,
उसका मुझसे मिलना
दुनिया की रिवायत के है खिलाफ।
लेकिन वो इश्क़ भी क्या
जो दुनिया की नज़रों में न खटके
यारा वो इश्क़ भी क्या ??
जिसमें दो लोग मिलकर भी न बिछड़े।
कभी न होगी शिकायतें मुझे उससे खुद से ज़्यादा,
उसे खो दिया अगर मैं ने
तो ग़म सदैव रहेगा ताज़ा-ताज़ा।।२
❤️ सखी