Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Sep 2021 · 1 min read

दिल किसी का दुखाया

मैंने दिल किसी का दुखाया
मैने दिल किसी का दुखाया।
नादान था बहुत ही नटखट
नादानगी में उनको बहुत सताया।।

जिसने झुलाया था हमें
अपनी बाहों की झुलों मे।
जो बनके घोड़ा बिठाकर पीठ पर अपने
इंसा कोई हँसाया करते थे हमें।।

हर पल हँसाया था जिसने हमें
उसे हमने बहुत रूलाया।
नादानगी में मदहोश किशन
दिल किसी का दुखाया।।

रूठ जाता था कभी तो मा मुझे मनाती
बिठाकर गोद मे हमे खूब हँसती खिलखिलाती
रोता था जब कभी भी सुनाकर लोरियाँ
अपने आँचल तले हमे सुलाती।।

जो हँसाती थी हर पल मुझे
उसको हमने बहुत रूलाया
नादान ही तो था किशन
मैने दिल किसी का दुखाया।।

लेखक- किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)

1 Like · 595 Views
Books from Dr. Kishan Karigar
View all

You may also like these posts

23/200. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/200. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"कभी"
Dr. Kishan tandon kranti
घनाक्षरी
घनाक्षरी
Suryakant Dwivedi
समझदारी शांति से झलकती हैं, और बेवकूफ़ी अशांति से !!
समझदारी शांति से झलकती हैं, और बेवकूफ़ी अशांति से !!
Lokesh Sharma
प्रेम..
प्रेम..
हिमांशु Kulshrestha
अब कुछ साधारण हो जाए
अब कुछ साधारण हो जाए
Meera Thakur
खुले आम जो देश को लूटते हैं।
खुले आम जो देश को लूटते हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
मैं धर्मपुत्र और मेरी गौ माँ
मैं धर्मपुत्र और मेरी गौ माँ
Dr MusafiR BaithA
क्या ईसा भारत आये थे?
क्या ईसा भारत आये थे?
कवि रमेशराज
दोहे
दोहे
seema sharma
गुलाब दिवस ( रोज डे )🌹
गुलाब दिवस ( रोज डे )🌹
Surya Barman
मत का दान नहीं मतदान
मत का दान नहीं मतदान
Sudhir srivastava
वक्त की मार
वक्त की मार
Sakshi Singh
विषय-बंधन कैसे-कैसे
विषय-बंधन कैसे-कैसे
Priya princess panwar
चमकते चेहरों की मुस्कान में….,
चमकते चेहरों की मुस्कान में….,
डॉ. दीपक बवेजा
राजनीति पर दोहे
राजनीति पर दोहे
आर.एस. 'प्रीतम'
हकीकत से रूबरू हो चुके हैं, अब कोई ख़्वाब सजाना नहीं है।
हकीकत से रूबरू हो चुके हैं, अब कोई ख़्वाब सजाना नहीं है।
अनिल "आदर्श"
मेरे जिंदगी के मालिक
मेरे जिंदगी के मालिक
Basant Bhagawan Roy
मुक्तक
मुक्तक
डी. के. निवातिया
🙅क्लीन होगा
🙅क्लीन होगा "नीट"🙅
*प्रणय*
जिसने सिखली अदा गम मे मुस्कुराने की.!!
जिसने सिखली अदा गम मे मुस्कुराने की.!!
शेखर सिंह
My thoughts if glances..!!
My thoughts if glances..!!
पूर्वार्थ
धर्म और विडम्बना
धर्म और विडम्बना
Mahender Singh
*धारा सत्तर तीन सौ, अब अतीत का काल (कुंडलिया)*
*धारा सत्तर तीन सौ, अब अतीत का काल (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-157 से चयनित दोहे संयोजन- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-157 से चयनित दोहे संयोजन- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
तोड़ डालो ये परम्परा
तोड़ डालो ये परम्परा
VINOD CHAUHAN
जिंदगी
जिंदगी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कैंसर और स्वस्थ जीवन
कैंसर और स्वस्थ जीवन
Karuna Bhalla
यूं तुम से कुछ कहना चाहता है कोई,
यूं तुम से कुछ कहना चाहता है कोई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...