दिल कितना हल्का
दिल कितना हल्का
होता है
एक रुई सा जब
दिल में कोई नहीं होता
मन में कितनी
असीम शांति होती है जब
मन मन्दिर में बस
भगवान बसता
यह रिश्ते तो
पत्थर की शिलाएं हैं
इन्हें दिल में रखकर बैठो तो
दिल हो जाता भारी और
बाहर झांकने तक का
किसी दरार से कोई
रास्ता नहीं मिलता।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001