दिल का दरवाज़ा
ये कैसा दरवाज़ा बनाया है तुमने
रास्ता है आने का
लेकिन जाने का नहीं।।
कह दूंगा अब उससे मैं
अब जाने दे मुझे
मैं जानता हूं वो मानेगा नहीं।।
बुलाकर भूल गया है वो तो
या कर रहा नज़रंदाज़
अब यहां मुझे रहना भी नहीं।।
जो भी रही हो मजबूरी उसकी
न कुछ सुनना है मुझे और
उससे कुछ कहना भी नहीं।।
लगता है दस्तक दे दी है उसने
किसी और दरवाज़े पर
लेकिन वो इसे मानेगा नहीं।।
है मेरी हालत जो आज यहां
कहीं हाल उसका
आज वहां, वही तो नहीं।।
ये कैसा मायाजाल बनाया है
इस कनहिया ने यहां
जिसमें वो खुद तो फंसा नहीं
है दरवाज़ा इतना आकर्षक कि
जाना चाहता है हर कोई
कोई इंसान उससे बचा ही नहीं।।