“ दिल कहाँ लगाऊँ “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल“
=================
कहाँ दिल बहलाऊँ ,
बहलता नहीं है !
दिल कहाँ लगाऊँ ,
लगता नहीं है !!
कहाँ दिल बहलाऊँ ,
बहलता नहीं है !
दिल कहाँ लगाऊँ ,
लगता नहीं है !!
उसके पास जाने का बहाना हम ढूंढते हैं ,
वे दूर- दूर रहके ही दीदार मेरा करते हैं !
उसके पास जाने का बहाना हम ढूंढते हैं ,
वे दूर- दूर रहके ही दीदार मेरा करते हैं !!
कैसे उसको रिझाऊँ ,
रिझता नहीं है !
दिल कहाँ लगाऊँ ,
लगता नहीं हैं !!
थक गया हार के इजहार करते रह गया ,
आप अनसुनी कर के पास से गुजर गए !
थक गया हार के इजहार करते रह गया ,
आप अनसुनी कर के पास से गुजर गए !!
कैसे उसको मनाऊँ,
मानता नहीं है !
दिल कहाँ लगाऊँ ,
लगता नहीं है !!
बातें तो करो शिकबा शिकायत छोड़ दो ,
खता मेरी माफ कर रंजिशें सब तोड़ दो !
बातें तो करो शिकबा शिकायत छोड़ दो ,
खता मेरी माफ कर रंजिशें सब तोड़ दो !!
कैसे उनको बताऊँ ,
मानता नहीं है !
दिल कहाँ लगाऊँ ,
लगता नहीं है !!
कहाँ दिल बहलाऊँ ,
बहलता नहीं है !
दिल कहाँ लगाऊँ ,
लगता नहीं है !!
=================
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
04 .10 ॰2021