दिल और गुलाब
✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️
🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹
मेरे द्वारा स्वरचित एवं स्वमौलिक तीसरी कविता :-
विषय – दिल और गुलाब
गुलाब तेरा रंग रूप भी लाल
दिल तेरा रूप रंग भी लाल
गुलाब तुझमें है बड़ी नाजुकता
दिल तू संजोये बैठा है कोमलता
एक पत्ती टूटने पर गुलाब तू है बिखरता
एक चोट लगने पर दिल तू भी तो है बिखरता
गुलाब तू बनता ईश्वर के गले का हार -श्रृंगार
दिल तू भी ईश्वर को अर्पण करता अपने भाव का हार -आंसुओं की माला
गुलाब तू है प्रेम का प्रतीक -ऊर्जा का स्तोत्र
दिल तू भी तो है प्रेम में सरोबोर -ऊर्जा का स्तोत्र
गुलाब तु सजता सेज पर दिल के रूप में
और तुम दोनों मिलकर लिखते एक नई परिभाषा प्रेम की
और उस परिभाषा से तुम रचते एक युग का निर्माण
एक नए मेहमान के आगमन पर फिर खिलती दिल की पंखुड़ियां
Affirmations :-
1-मेरा ध्यान गुजरे हुए कल पर नहीं आने वाले पल पर है…
2-मैं एक बेहतरीन इंसान हूँ ,मेरा भविष्य बहुत उज्वल है…
3-मेरे अंदर हर कार्य करने की क्षमता है…
4-मुझे सफल होने को जो कुछ भी चाहिए वो मेरे अंदर ही है.
5-मैं विश्वास करता हु की दुनिया में पैसे कमाने के अनेक तरीके है…
6-धन्यवाद भागवान ,मेरे पास जो कुछ है में उससे संतुष्ट हूँ ..
7-मैं कुछ भी हासिल कर सकता हूँ ,बस खुद पर विश्वास रखना होगा।
बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ….सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ….!
🙏सुप्रभात 🌹
आपका दिन शुभ हो
स्वरचित स्वमौलिक
विकास शर्मा'”शिवाया”
🔱जयपुर -राजस्थान 🔱