दिल और आंख
आंखों की बातें दिल समझता है
आंखों से तीर सीधे दिल को लगता है
आंख भरी हो न तो दिल रोता है
आंखें जागती है जब दिल बेचैन होता है
बड़ा ही अजीब रिश्ता है दिल और आंख का
आंखें मिलती है तो दिल धड़कता है
आंखें झरोखा हैं दिल का
झूठ तो लब कहता है आंखें नहीं
ज़रा झुका लिजीए इन्हें
दिल आंखों से सब पढ़ता है
स्वरचित।।