दिल-ए-रहबरी
दिल-ए-रहबरी ने हमको ये कहाँ लाके छोड़ा
है चारो तरफ अँधेरा हमें जहाँ लाके छोड़ा
जिंदगी लिया तू ने ये किस खता का बदला
वहाँ भी पहुंच सके न हमें जहाँ से लाके छोड़ा
खुद ही महफिल से चले जाते गर तुझको कबूल ना था
क्यूँ बेआबरू करके तमाशा बनाके छोड़ा
आँखें थी खुष्क पहले ही लब भी तो खुल सके ना
आह तक न निकली दिल इस तरह से तोड़ा
M.T.”Ayen”