दिल ए बीमार और करोना
करोना ने दिल को यूं बीमार कर दिया,
हर शय से हम को बेजार कर दिया ।
घर से बाहर कदम रखना ख्वाब सा लगे,
इक सैयाद ने पिंजरे में जो कैद कर दिया ।
सुबह – शाम गुजरती है घर पर ही हमारी ,
जिंदगी को हाय !कितना बोझिल कर दिया ।
अब तो किसी भी काम में दिल लगता नहीं,
हमारा पल पल कटना भी मुहाल कर दिया ।
मन बहलाने को बस टीवी था एक जरिया ,
उसकी खौफनाक खबरों ने परेशां कर दिया।
अब तो खाओ पियो और सो जाओ ,साहिब !
जिंदगी को जैसे रेलगाड़ी का सफर कर दिया ।
दिल तो बेचारा वैसे ही डरा सहमा सा रहता है ,
उसने हालातो को जो खौफनाक बना दिया ।
हर रोज किसी न किसी आफत से मुलाकात ,
दुनिया को करोना ने जंग ए मैदान कर दिया।
अब इस मुश्किल वक्त में खुदा का ही सहारा है ,
इसीलिए “अनु” ने अपना हाथ “उसे” थमा दिया ।