दिल आज बहुत है उदास
दिल आज बहुत है उदास
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दिलजानी नहीं है जो पास
दिल आज बहुत है उदास
चहुँ ओर तन्हाई ही तन्हाई
तन्हा तन्हा मेरा मन उदास
भँवरों ने चूस लिया हो रस
फूलों को हैं किसकी आस
चाँद छुप गया,मेघ हैं छाये
मौसम आया नहीं है रास
निगाहें हैं बहुत ही प्यासी
सितमगर नहीं आस पास
जुगनू सी चमक सा प्यार
पल में अदृश्य प्रेम प्रकाश
स्वतंत्र परिंदे सा प्रेम भाव
नहीं रहता यह सदैव पास
किसी हाथ नहीं आए बेला
समय किसी का नहीं दास
नजरों का अनोखा है खेल
सदैव रहे किसी की तलाश
हो जाता है ये चित बदहाल
प्रियतम नहीं हो आस पास
संयोग में रहता प्रेम का नशा
वियोग खो देता होशोहवास
दिलोदिमाग छाता है कोहरा
सुखविंद्र असफल हैं प्रयास
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)