Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
Dr fauzia Naseem shad
191 Followers
Follow
Report this post
26 Jun 2024 · 1 min read
दिल अब
मायने लफ़्ज़ के नहीं कुछ भी ,
दिल अब ख़ामोशियां समझता है ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
Language:
Hindi
Tag:
शेर
Like
Share
2 Likes
· 93 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all
फ़ासले
Dr. Fauzia Naseem Shad
एहसास के मोती
Dr. Fauzia Naseem Shad
मेरे एहसास
Dr. Fauzia Naseem Shad
You may also like these posts
*जीवन्त*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मेरे सपनों का भारत
Neelam Sharma
आज यूँ ही कुछ सादगी लिख रही हूँ,
Swara Kumari arya
मनोव्यथा
मनोज कर्ण
3430⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
तुम बिन
Dinesh Kumar Gangwar
संवेदना सहज भाव है रखती ।
Buddha Prakash
वसंत पंचमी की विविधता
Sudhir srivastava
संगीत
surenderpal vaidya
जहां शिक्षा है वहां विवेक है, ज्ञान है।
Ravikesh Jha
जिंदगी बेहद रंगीन है और कुदरत का करिश्मा देखिए लोग भी रंग बद
Rekha khichi
4. गुलिस्तान
Rajeev Dutta
रस का सम्बन्ध विचार से
कवि रमेशराज
प्रेम और दोस्ती में अंतर न समझाया जाए....
Keshav kishor Kumar
कब आओगी वर्षा रानी
उमा झा
बांध प्रीत की डोर...
इंजी. संजय श्रीवास्तव
जन्मदिन का तोहफा**
Bindesh kumar jha
जिंदगी तू मुझसे रूठकर किधर जायेगी
Jyoti Roshni
वक्त तुम्हारा साथ न दे तो पीछे कदम हटाना ना
VINOD CHAUHAN
कामयाबी के पीछे छिपी पूरी ज़वानी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मोबाइल भक्ति
Satish Srijan
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
#भारतीय संस्कृति से गंगा गाय और गायत्री की नालबद्धता
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
पता ना था के दीवान पे दर्ज़ - जज़बातों के नाम भी होते हैं
Atul "Krishn"
गांव सदाबहार
C S Santoshi
*आए दिन त्योहार के, मस्ती और उमंग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
गंगा
ओंकार मिश्र
शृंगार छंद और विधाएँ
Subhash Singhai
समर्पण
ललकार भारद्वाज
प्रेमी ने प्रेम में हमेशा अपना घर और समाज को चुना हैं
शेखर सिंह
Loading...