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29 Sep 2023 · 1 min read

दिल्ली चलें सब साथ

चिंता से न कटेगी रात
दिल्ली चलें सब साथ

जवानी में तनख्वाह है
परिवार खैरख्वाह है
खिलखिलाते मगन हैं
खुद ही धरती गगन हैं

मान लें सब की बात
दिल्ली चलें सब साथ

चिंता चिता में न बदले
सोच लें समय से पहले
खाली हाथ नहीं रहना
हक की बात कहना

मिला लें हाथ में हाथ
दिल्ली चलें सब साथ

बुढ़ापे का सहारा चाहिए
पेंशन हमारा चाहिए
क्रान्ति का बीज बोना चाहिए
उचित न्याय होना चाहिए

बुढ़ापे में कांपेंगे गात
दिल्ली चलें सब साथ

नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला -कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
मौलिक स्वरचित

Language: Hindi
648 Views

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