*दिलों से दिल मिलाने का, सुखद त्योहार है होली (हिंदी गजल/ गी
दिलों से दिल मिलाने का, सुखद त्योहार है होली (हिंदी गजल/ गीतिका)
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1
दिलों से दिल मिलाने का, सुखद त्योहार है होली
जगा दे मन में अपनापन, मधुर वह प्यार है होली
2
मिटा दो आज के दिन,चल रहे सदियों के झगड़ों को
सिखाती मिल के रहने का,सजग व्यवहार है होली
3
चली जो धार-पिचकारी, तो सारे हो गए अपने
न अब कोई धनी-निर्धन, यही आधार है होली
4
न जाने चीज कैसी है, जो गालों पर मली जाती
बना देती गुलालों से ही, रिश्तेदार है होली
5
जला देती है सारे द्वेष, ईर्ष्या-दर्प पावक में
जली थी होलिका-कपटी, कथा का सार है होली
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पावक = अग्नि, आग
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451