*दिलजलों की तो जलने की आदत होती है *
कल्बे-सोजा जलते रहेंगे
मुहब्बत के चिराग से
दिल का हाल पूछो
तुम उनसे
जिसने ज़ाम-ए-मय
पिया हो इश्क का
फ़कत जीने के लिए
मुहब्बत ना की
तुझे क्या पता
ऐ कल्बे-सोजा
इश्क में
मरमर के जिया जाता है
निहायत जरूरी है
जले-दिल को जलाना
दम तोड़ने के लिए
मासूक को मजबूर किया
इब्तिदा इश्क में
तुम्हें
डरने की जरूरत नहीं
ऐ खदीन
दिलजलों की तो
जलने की आदत होती है ।।
?मधुप बैरागी