दिलकश
बहुत दिलकश था वो नज़ारा,
जब पकड़ा था तूने हाथ हमारा,
तेरी ही आँखों में डूब गया,
मैं तो सारा का सारा,
तू ही है दुनिया तू ही है
संसार हमारा,
कोई नहीं है इस दुनिया में
मेरी बेटी सा प्यारा,
किस्मत वाला हूँ,
जो बेटी ने घर चुन लिया हमारा,
लोग रोते हैं बेटों के लिए,
लेकिन यही बेटियाँ बनती हैं
हमारे बुढ़ापे का सहारा,
बेटी को न मारो कोख में,
यही आज है आपको संदेश हमारा,
यदि होगी घर में बहु,बेटी
तभी बढ़ेगा कुल हमारा,
तभी बढ़ेगा कुल हमारा।
स्वरचित रचना,
वन्दना ठाकुर