दिन में भी तुम रात में भी तुम हो मेरे अंदर छिपे जज़्बात में भी तुम हो
दिन में भी तुम रात में भी तुम हो
मेरे अंदर छिपे जज़्बात में भी तुम हो
बहती हुई फ़िज़ाओं के एहसास में भी तुम हो
मेरे भीतर ख्यालात में भी तुम हो
लबों की हंसी में भी तुम हो
आँखों में बसे भी तुम हो
बहती हुई कश्ती की धारा भी तुम हो
समुंद्र का किनारा भी तुम हो
मेरी मंज़िल भी तुम हो
सफर का हमसफ़र भी तुम हो
जीने का सहारा भी तुम हो
मेरे लिखने का बहाना भी तुम हो
मेरा नाम भी तुम हो
मेरी पहचान भी तुम हो
मेरी जान भी तुम हो
मेरा मान भी तुम हो
दर्द का जख़्म भी तुम हो
जख़्म का मरहम भी तुम हो
मेरा ईमान भी तुम हो
मेरा भगवान भी तुम हो
भूपेंद्र रावत
10।11।2017
दिल्ली