दिन गुज़रते रहे रात होती रही।
दिन गुज़रते रहे रात होती रही।
उनसे तन्हाई में बात होती रही।
दीं ज़माने ने हमको बहुत तोहमतें,
दिल- से- दिल -की मुलाक़ात होती रही।।
डॉ .रागिनी स्वर्णकार ( शर्मा), इंदौर
दिन गुज़रते रहे रात होती रही।
उनसे तन्हाई में बात होती रही।
दीं ज़माने ने हमको बहुत तोहमतें,
दिल- से- दिल -की मुलाक़ात होती रही।।
डॉ .रागिनी स्वर्णकार ( शर्मा), इंदौर