दिन गिनना सबका तरीका अपना – अपना
दिन गिनना
सबका तरीका
अपना – अपना
कोई जागकर
कोई सोकर ,
कोई हँस कर
कोई रोकर ,
कोई चिंता से
कोई आराम से ,
कोई सुबह से
कोई शाम से ,
कोई चुपचुप
कोई चिल्लाकर ,
कोई प्यार से
कोई झल्लाकर ,
कोई सुस्ती में
कोई मस्ती में ,
कोई शहर में
कोई बस्ती में ,
पर सब गिनते हैं दिन
कोई दिन – दिन
तो
कोई छिन – छिन ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 26/04/92 )