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5 Jan 2023 · 1 min read

दिनांक –5/1/2023

दिनांक –5/1/2023

नववर्ष की शीतल ऋतु में ,
तन थर थर काँपे जब ।
उल्लास की एक किरण
गर्माहट से भर जाती तब।
अलस सुबह कोहरे की चादर ,
प्रकृति जब ओढ़ती है ।
खगवृंद का कलरव भी
निद्रा को कहाँ तोड़ती है।
आलस भरे बदन की
एक अँगडाई औचक सी
ओस भीगी चांदनी को
सहज ही ताकती है।
गर्म चाय की प्याली से
उठती सौंधी गंध ,भाप
श्वांसों से निकली भाप
संग घुलमिल जाती है ।
तब गर्म प्याला भी देर तलक
हथेलियों के बीच दबा रह
एक सुकून दे जाता है।
तब कोहरे की चादर
ओस की बरसती बूंदें
और कलरव मिल कर
दे जाते हैं सुकून
मधुर गीतों की तरह

✍️पाखी

Language: Hindi
2 Likes · 287 Views
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