#दिनांक:-19/4/2024
#दिनांक:-19/4/2024
#शीर्षक:-खो गये रिश्ते।
चलो जिन्दगी में आज किरदारों का
आदान-प्रदान करते हैं,
कुछ तुझसे लेते हैं कुछ किसी का
आत्मसात करते हैं।
बेमौसम की बरसात भी,
कभी-कभी बहुत खलती है।
पक्ष किसी का लेकर आज,
तेरे साथ पक्षपात करते हैं।
कभी प्रसन्न कभी तनाव देती हो,
रोने के बाद ही क्यूँ लगाव देती हो।
सहनशीलता का अभाव होने पर,
घाव कुरेदकर ही फिर घाव देती हो?
खो रहे वो अपने हकदार जो थे,
नींद गायब आँखों से जो रातों के हकदार थे ।
हिस्सेदारी आज नाच पार्टियों में बंट गई,
खो गए रिश्ते महकदार जो थे,
ऐ जिन्दगी परास्त किसको कर रही?
पत्थर से सिर मार खुद ही तो रो रही।
झांक अपने अंदर क्या है तेरा किरदार,
तू तो अपने को ही दर्द बेहिसाब दे रही ।
(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई