दिनकर
सरसी छंद
मात्रा भार 27
यति 13/14
दिनकर
भोर होते अंबर पर,
रवि आरुड़ रथ हो आए।
निज रश्मि जाल बिछाए,
भूमंडल अंग लगाए ।
बाग-कानन मुस्काए,
अरु डाल -डाल हर्षाए।
पिक कहीं कूक लगाए,
कहीं रुनझुन पक्षी गाए ।
छूकर आके जगाए,
नित कलियों को भरमाए।
नवचेतन जग भर जाए,
दिनकर तरुणाई छाए।
भोर स्वर्णिम रंग के लिए,
भास्कर लालिमा लाए।
लेकर सतरंगी हार,
दिनकर रोज -रोज आए।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर (हि० प्र०)