दिखावे का दौर
दिखावे का दौर
दिखावे का दौर
प्रदर्शन अभिनय दिखावे का आया कैसा दौर
जिसपे बसी सारी दुनिया बोलबाला चहुँ और
भक्ति हो या शक्ति हो सब पर इसका राज
सब पर हावी हो रहा, दिखावा जग में आज
पूजा करण को मंदिर गयो, पाया न कहि ठोर
धनवानों के दास प्रभु देखे, पुजारी बने है चोर
मंदिरो में भक्ति नहीं, दिखावे का करते शोर
श्रद्धा दिलो मैं रही नही,दौलत का चलाते जोर
कहीं खुशी से गुलाल उड़ाते कही बहता रक्त लाल
चाहे दुखियारे राह मरे,रोक पथ करे नृत्य आलाप
भूखे तरसते रोटी को, पत्थरो पे चढ़े शुद्ध पकवान
देख दिखावे की दुनियादारी,अब दुखी हुए भगवान
इंसान तरसता वस्त्रो को, देवो ने पहने जवाहरात
पीर मजार पे चादर चढ़े, नग्न शरीर मरे फुटपाथ
महिमा उसकी हो रही जो करे दिखावा दिन- रात
मजहब नाम पर दुनिया लड़ाते खून बहाते बेबात
राम नाम पर निश दिन हो रहा शोषण अत्याचार
चोर उचक्के भगत बने करे ईश नाम का व्यापार
जो जितना दिखावा करे, वो बड़ा भक्त कहलाये
धनवान तीर्थकरे सच्चा भक्त बैठा आस लगाये
जिसके घर बसने वाला नही उसने महल बनाये
निर्धन खोजे आसरा,किस विद नैया पार लगाये
डी. के. निवातियाँ________!