” दिखावा “
एक छोटा सा अनुभव मैंने भी किया ,
कई बार अपनी रचनाओं को सोसल मीडिया पर पोस्ट किया ,
लाइक , विवरस , कमेंट्स और शेयर लगभग सौ तक ना पार किया ।
कई बार अपनी फोटो और वीडियो पोस्ट किया ,
लाइक ,विवरण , कमेंट्स और शेयर लगभग हजार पार किया ।
फिर एक बात याद आई किसी कि ,
लाख कर लो शुरुआत कही से भी ,
बात चेहरे पर ही आकर खत्म होती है ।
किसी को फर्क नहीं पड़ता ,
आपके उसूलों और विचारों से ,
बात तो है सिर्फ अधिकारों से ।
दुनिया में सिर्फ चुनाव दिखावे को किया ,
वरना मां – बाप अपने पसंद के चुनने का मौका किसी को जिंदगी ने कहां किसी को दिया ।
सुना है भाभी – देवर का रिश्ता मां – बेटे के समान होता
अगर पति मर गया तो ,
विवाह पुत्र समान देवर से करा दिया ।
जीजा जी को साली ने बड़े भाई के समान माना ,
अगर मृत्यु हो गई पत्नी की तो ,
विवाह साली के साथ करा डाला ।
वाह रे ! रिश्तों का ताना-बाना ,
अपने पसंद से रिश्तों का नाम बदल डाला ।
– ज्योति