फिर दिखावा
कस्बे में बहुत जोर शोर के साथ खान साहब का स्वागत किया गया। आखिर वो डेढ़ महीना बाद हज के सफर से वतन वापस लौटे थे। घर में लगातार मेहमानों और आस पड़ोसियों का आना-जाना लगा हुआ था। इस बीच खान साहब ने तोहफे और मिठाइयां भी खूब बटोरी। खान साहब डेढ़ महीना के दौरान पेश आए तजरिबों को साझा कर रहे थे।
दीनदारी की बातों में भी इजाफा हो चुका था। इतने में वह दुकानदार भी मुबारकबाद देने पहुंचा जिससे खान साहब सौदा उधार लिया करते थे। “अरे, इरफान भाई! जरा मेरी उधारी का रजिस्टर तो लेकर आओ।” कहकर खान साहब ने दुकानदार को वापस भेज दिया।
दुकानदार ने सोचा कि शायद खान साहब हज करने के बाद अपने कर्ज की अदायगी करना चाहते हैं और आज मेरा हिसाब फाइनल हो जाएगा। वह झट से उधारी का रजिस्टर ले आया। खान साहब ने खाता खुलवाया और बोले, “इस खाते में मेरे नाम से पहले हाजी शब्द जोड़ दीजिए…”