दिखता नहीं कहीं भी गांधी, ये कैसी लाचारी है?
दिखता नहीं कहीं भी गांधी, ये कैसी लाचारी है?
धर्म जाति और रंग भेद, दुनिया में आज भी जारी है
चीख रही मानवता जग में, दुनिया हलाकान सारी है?
प्रेम और करुणा हुए नदारद, हिंसा द्वेष जगत में भारी है
धर्म के नाम घोर अधर्म,आज जगत में जारी है
छिड़ी हुई है जंग जगत में, मानवता की जांघ उघारी है
दिखता नहीं कहीं भी गांधी,ये कैसी लाचारी है ?